16 Oct
16Oct

नई दिल्ली : जहाँ एक तरफ पूरा विश्व तरक्की की बुलंदियों पर पहुंच रहा वहीं दूसरी तरफ भारत का एक महत्त्वपूर्ण राज्य इतिहास के साथ छेड़छाड को विकास की परिभाषा बता रहा। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री
योगी अदित्यनाथ ने ये घोषणा की है की जनता के हित और प्रदेश के विकास के लिए इलाहाबाद का नाम परिवर्तित करके प्रयागराज रखा जाएगा।
श्री अदित्यनाथ के अनुसार ये कार्य अति आवश्यक है इसे दिसंबर में शुरु होने वाले कुंभ के पहले पहले कर देना होगा। श्री अदित्यनाथ साहब को कौन समझाए की अगर शहरों के नाम बदलने से तरक्की और खुशहाली आती है तो भारत का ही नाम बदलकर कुछ और रख दिया जाए, शायद इससे आये दिन हो रही भुखमरी, गरीबों पर हो रहे शोषण, भ्रष्टाचार,और साढ़े चार साल से रुका हुआ विकास बहाल हो सके।

इतिहास की दृष्टि से प्रयाग और इलाहाबाद:
● प्राचीन भारत में प्रयाग गंगा जमुना के संगम पर बसा एक स्थान था। हिंदू मान्यताओं में इसका उल्लेख आता है। इतिहास में कई जगह इन नदियों के संगम का जिक्र आता है। संगम का मूल अर्थ होता है मिलना या समाहित होना। गंगा जमुना और लुप्त सरस्वती के मिलने के केन्द्र को त्रिवेणी संगम कहा गया है।
● मध्यकालीन भारत में महान बादशाह अकबर ने इस पवित्र केन्द्र के निकट एक शहर की स्थापना की, जिसका नाम इलाहाबाद पड़ा। इसका अर्थ ‘अल्लाह का स्थान” या “पाक स्थान” होता है। कुंभ के सम्बंधी एक विशुद्ध प्रमाण ये है की 1564 में अकबर बादशाह ने कुंभ की महात्वता और हिंदू धर्म की आस्था को देखते हुए जज़ीया कर को समाप्त कर दिया था।
●ब्रिटानिया सरकार जब हिंदुस्तान पर काबिज़ हुई तो अकबर के बसाये हुए इस नगर को बहुत महत्व मिला। यह शहर भारत के स्वतन्त्रा आन्दोलन का गढ़ बना।1857 के युद्ध में इस शहर का बड़ा योगदान रहा। 1868 में चलकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना हुई तथा 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना होती है।

कुछ बातें इस नाम परिवर्तन से सम्बंधित :
● अकबर नें प्रयाग का नाम बदला नहीं बल्कि प्रयाग नामक त्रिवेणी संगम के पास एक नगर बसाया। कहीं पर भी अकबर का हिंदू धर्म से इर्ष्या का प्रमाण नहीं मिलता। अगर उसे प्रयाग की महत्त्वपूर्णता खतम करनी होती तो वह जज़ीया कर से छूट ना प्रदान करता।
● इलाहाबाद धर्म के अलावा अन्य बहुत सी एतिहसिक महत्त्वता रखता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, पुलिस मुख्यालय,अधीनस्थ सेवा कमीसन, आदि इसमें शामिल हैं। नाम परिवार्तन से हो सकता है धार्मिक दृष्टी से इसका कुछ उत्थान हो लेकिन यकीनन इसकी अन्य खूबियाँ जरुर लुप्त हो जाएंगी, जिन्हे इस मुकाम तक पहुचने में सदियाँ लगी है।
●मुगल सराय का नाम परिवर्तन अपने आप में इतिहास से खिलवाड़ है,लेकिन इलाहाबाद के नाम परिवर्तन से हमारे वर्तमान को भी नुक्सान है। उदाहरण के तौर पर मैने इलाहाबाद से पढ़ाई की है, मेरे हर सर्टिफ़िकेट में इलाहाबाद दर्ज है, अब इसको संशोधन करना भी जरूरी होगा। इतने व्यापक स्तर पर ये करना नामुमकिन है, अगर करने की सोचें तो ये दूसरे विकास कार्यों के लिए बाधक साबित होगा।

अगर सरकार सच में इस शहर का विकास चाह्ती है तो जमीनी सतह पर काम करे इस तरह नाम परिवर्तन और धर्म की राजनीति से किसी का विकास नहीं होने वाला है।

अन्य विकल्प (सुझाव के तौर पर इसे देशद्रोह ना करार दें)
अगर योगी सरकार को सच में इस आस्था केन्द्र का विकास करना है तो वह संगम के आस पास का विकास करें जो वर्ष मे मेले के वक़्त तो चमचमाता है लेकिन बाकी दिनो मे आवारा पशुओं का केंद्र और शहर की गन्दगी का ढेर बना रह्ता है। क्या उस वक़्त वहां से आस्था,मान्यता,पुराण और धार्मिक खत्म हो जाती है। प्रयागराज के नाम से त्रिवेणी के नजदीक ग्रामीण श्रेत्रों का विकास करें। मेरा योगी जी से यही कहना है की आप अगर इतने काबिल हैं तो नाम परिवर्तन की जगह एक नए श्रेत्र की स्थापना करें और उसे विकास की राह पर आगे करें। आज का इलाहाबाद प्राचीन का प्रयाग है तो हो सकता है आप गलत हों क्यूंकि कहीं पर भी इसका प्रमाण मिलता की  प्रयाग को तोडकर इलाहाबाद की स्थापना हुई है।


काले रेखा के अन्दर वो स्थान है जो इतिहास में प्रयाग के नाम से परिभाषित होता है। इसका श्रेत्रफल एक अच्छी खासी नगरी को बसाने के लिए उपयुक्त है। श्री अदित्यनाथ जी से मेरा अनुरोध है की अगर आप प्रयाग के लिए कुछ करना चाहते हैं तो असली प्रयाग के इन श्रेत्रों का विकास कीजिए। आपके विकास के लिए ये काफी है इसका श्रेत्रफल दिल्ली के एन:डी:एम:सी: से भी बड़ा है इसमे एक अच्छा प्रयागराज बन जाएगा।
जिसे हम सच मे प्रयागराज कह सकेंगे, इलाहाबाद के भविष्य के साथ आपका ये खिलवाड़ सच मे खतरनाक साबित हो सकता है।


जहाँ पर गीत गजलें एक साथ में सबको सुनाईं दे।

“इलाहाबाद” मजहब से परे मुझको दिखाई दे।।


मोहम्मद सलमान
जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली
एडिटर, दी सोशल क्राऊड नई दिल्ली
मेल: mdsalman.hashim@gmail.com


Comments
* The email will not be published on the website.
I BUILT MY SITE FOR FREE USING